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इक़बाल सिंह “राशा“ का रचना संग्रह

इक़बाल सिंह “राशा“

Name (English):
IQBAL SINGH "RASHA"

Name (Hindi):
इक़बाल सिंह “राशा“

Occupation:
Stock Market Research & Analyst.

Education:
B.Com Accounts Honours

Address:
Manifit Telco

City:
Jamshedpur

Pincode:
831004

State:
Jharkhand

About:
इक़बाल सिंह राशा हिंदी साहित्य के एक गहरे, रूहानी और संवेदनशील कवि हैं, जिनकी कविताएँ प्रेम, आत्मा, समाज और मौन के गूढ़ पक्षों को स्पर्श करती हैं। उनका जन्म 19 जून 1971 को मानिफिट बस्ती, टेल्को, जमशेदपुर (झारखंड) में हुआ। वे बचपन से ही विचारशील स्वभाव, करुणा और भावनात्मक बोध के धनी रहे हैं।

इन्होंने अपने जीवन को साहित्य की साधना में अर्पित करते हुए अब तक:

• 1900 से अधिक छंदबद्ध कविताएँ
• 1100 मुक्तक कविताएँ
• 200 से अधिक ग़ज़लें
रच डाली हैं, जो विभिन्न मंचों, पाठकों और प्रकाशनों में सराही गई हैं।

साहित्यिक उद्देश्य

“मैं कविता को मंच की तालियों के लिए नहीं लिखता,
मैं कविता को आत्मा की खामोशी सुनाने के लिए जीता हूँ।”

उनकी कविताएँ उस मौन को स्वर देती हैं, जिसे समाज अक्सर अनसुना कर देता है। वे प्रेम को केवल लौकिक भावना नहीं, रूहानी अनुभव मानते हैं, और नारी की चुप्पियों में छिपे संघर्ष को पूरी शिद्दत से उजागर करते हैं।

प्रमुख रचनाएँ:

• नारी हार न मानी – नारी के संघर्ष और शक्ति की कविता
• बिछड़े का दर्द – आत्मा की स्मृति में जलती विरह गाथा
• बूढ़ा आदमी – बुज़ुर्गों की उपेक्षा और अकेलेपन की पुकार
• प्रभु दर्शन की प्यास – भक्त और ईश्वर के मध्य मौन संवाद
• मैं रोता नहीं, पर दर्द होता है – पुरुष के भीतर छुपे दर्द की आत्मकथा
• तू रब था, पर मैंने तुझे इक नज़्म में पाया – प्रेम में ईश्वर की झलक

लेखन शैली

इक़बाल सिंह राशा की लेखनी में आत्मिक सादगी, गहरी संवेदना और जीवन के मौन पक्षों को उकेरने की शक्ति है।
वे प्रतीकों, चुप्पी, स्मृतियों और अंतर्मन की थरथराहट को शब्दों में बाँधते हैं।

शैलीगत विशेषताएँ:

• गूढ़ आत्मिक विषयों पर सहज भाषा
• प्रतीकात्मकता और सूक्ष्म बिंबों का प्रयोग
• गहरी मानवीय संवेदना
• स्त्री-केंद्रित दृष्टिकोण
• शब्दों से ज़्यादा मौन का संप्रेषण

आध्यात्मिक पक्ष

उनकी धार्मिक आस्था राधा स्वामी सत्संग, ब्यास में है।
वे मानते हैं कि कविता —

“ईश्वर से संवाद का सबसे मौन और सच्चा माध्यम हो सकती है।”

उनकी रचनाओं में यह भक्ति न आरती में है, न मंत्रों में —
बल्कि साँसों में बहते मौन, और प्रेम में जलते एकांत में है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

• पिता: श्री जागीर सिंह राशा
• माता: श्रीमती जागीर कौर राशा
• पत्नी: सिमरजीत कौर राशा (राउरकेला, ओडिशा से)
• पुत्रगण:
○ रौनक सिंह राशा (बड़े पुत्र)
○ परमीत सिंह राशा (छोटे पुत्र)

पाठकों से संवाद

इक़बाल सिंह राशा की कविताएँ सिर्फ़ पंक्तियाँ नहीं,
वे रूह की धड़कनें हैं —
जो किसी भूले हुए पाठक के भीतर
चुपचाप लौट आती हैं।

निष्कर्ष

इक़बाल सिंह राशा समकालीन हिंदी साहित्य के उन विरले कवियों में हैं,
जिनकी कविताएँ शब्दों से नहीं,
बल्कि मौन, प्रेम और आत्मा से बात करती हैं।

Hobbies & Interests:
कविता लेखन और विभिन्न विषयो पर गहन अध्यन

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