कापीराइट गीत
जब अपनों ने जख्म दिए हर जख्म दवा को तरस गया
जब, खुद पर ही रोना आया, पानी आंखों से बरस गया
जाऊं कहां मैं तुझे छोड़ कर, कुछ आता नहीं समझ में
अब, कैसे रहूं मैं साथ तुम्हारे, ये आता नहीं समझ में
सुन सुन कर बातें कङवी ये बादल गम का बरस गया
जब खुद पर ही रोना आया, पानी आंखों से बरस गया
जब टीस रहे थे जख्म मेरे, तुम ले कर नमक नया आए
नमक छिङक कर जख्मों पे एक गम का दौर नया लाए
अब दुख सहना ही नियति है हर पल सुख को तरस गया
जब खुद पर ही रोना आया, पानी आंखों से बरस गया
किससे कहते किस से सुनते, ये अफसाने अपने दिल के
छूट गया जब साथ तुम्हारा क्या कहते इस महफिल से
जब भी दिल मेरा रोया एक आंसू आंखों से ढ़लक गया
जब खुद पर ही रोना आया, पानी आंखों से बरस गया
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है