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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक ख़त्म लिखा है तेरे नाम…

छत की मुंडेर पर बैठा चाँद भी पढ़ गया उसे,
सुनसान रातों की स्याही में,
तेरी रौशनी की कमी घुली थी कहीं...

एक ख़त्म लिखा है तेरे नाम—
वो शब्द नहीं थे,
बस सूने भजन थे,
जो प्रार्थना की लौ में भीग गए थे।

तेरे जाने के बाद
मंत्रों ने भी मुझसे मुँह मोड़ लिया,
जप की माला तुझ तक जाती रही बार-बार,
और मैं...
हर श्वास में तुझे पुकारता रहा,
जैसे शब्द नहीं—अंतर बोल रहा हो।

एक ख़त्म लिखा है तेरे नाम—
जिसमें कोई तिथि नहीं,
बस वह पल था
जब तूने मेरी आत्मा से दृष्टि हटाई थी।

हर अक्षर में मैंने तुझे टटोला,
तेरे मौन के पीछे छिपा आदेश ढूँढा,
मगर तू चुप रहा,
जैसे ब्रह्मांड भी तेरे नाम पर साँस थामे है।

एक ख़त्म लिखा है तेरे नाम—
जो मैंने भेजा नहीं कभी,
क्योंकि पूजा की दिशा भटक गई थी,
और मन...
वह तेरे चरणों में ही अटका रह गया।

तेरे नाम की रेखाएँ
अब भी मेरे आत्म-हस्ताक्षर पर अंकित हैं,
मानो जन्म-जन्मांतर की वाचा
जिसे केवल भक्ति की नीरवता समझ पाती है।

एक ख़त्म लिखा है तेरे नाम—
हर साँस में, हर ध्यान में,
हर उस क्षण में जहाँ तू नहीं था,
पर फिर भी था...

और अब,
जब बरसों बाद किसी पुरानी वाणी में
तेरे नाम की गूँज मिली—
तो वह ख़त फिर खुल गया...

एक ख़त्म लिखा है तेरे नाम—
पर सवाल अब भी वही है:
"क्या तूने कभी सुनी मेरी पुकार?"
या मैं ही अकेला
हर भाव में तुझसे मिलने चला आया?

-इक़बाल सिंह “राशा”
मानिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत खूब 👌👌

Shiv Charan Dass said

तो वह ख़त फिर खुल गया है भावुक! Sundar

Supriya sahu said

बहुत सुंदर और लाज़वाब रचना सर जी 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

इक़बाल सिंह “राशा“ said

धन्यवाद रीना जी

इक़बाल सिंह “राशा“ said

धन्यवाद शिव चरण दास जी

इक़बाल सिंह “राशा“ said

धन्यवाद सुप्रिया साहू जी

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