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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

इक़बाल सिंह राशा की कविता “शब्द जो अब नहीं बोलते”

मैं एक अधूरी चिट्ठी हूँ—
जिसे कभी डाक में नहीं डाला गया।
सिलवटों से भरी,
पर लफ़्ज़ों से खाली।

घर की दीवारें
अब मुझे नहीं पहचानतीं—
वो तस्वीरें जो कभी टांगी थीं,
अब मुस्कराने के बजाय
मेरी ओर पीठ करके लटकती हैं।

बच्चे…
अब मेरी आँखों के काँच में नहीं,
अपनी-अपनी उड़ानों में रहते हैं।
कभी जिनके पैरों में
मैंने ख्वाब की पगड़ियाँ बाँधी थीं,
अब उन्हीं पाँवों से
मैं केवल धूल बनकर झरता हूँ।

मेरी पत्नी—
अब भी वही रसोई में है शायद,
पर उसकी चूड़ियों की खनक
अब मेरे कानों तक नहीं आती।
लगता है
वक़्त ने उसके हाथों से रंग चुरा लिए हैं,
और मुझे
उसकी चुप्पी से बात करनी नहीं आती।

मैं हर रोज़
अपने कमरे की खिड़की पर
एक पंछी की तरह बैठता हूँ,
पर उड़ नहीं सकता।
क्योंकि मेरी परछाई
किसी पुराने संदूक में बंद हो चुकी है—
जहाँ यादें साँस तो लेती हैं,
पर बोल नहीं पातीं।

कभी-कभी
मैं अपनी ही तर्जनी से
दीवार पर कोई नाम लिखता हूँ—
फिर उसे मिटा देता हूँ,
जैसे जीवन में कभी
मुझे मेरा नाम लेकर पुकारा ही न गया हो।

अब शब्द
मेरे पास आकर चुप बैठते हैं,
मैं कुछ कहता नहीं,
वो कुछ सुनते नहीं—
और इसी मौन में
मैं हर दिन
थोड़ा और अदृश्य हो जाता हूँ।

-इक़बाल सिंह “राशा”
मानिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

वन्दना सूद said

sir कितनी गहराई है आपके लिखने में 👏👏
मुझे अपना फैन ही मान लीजिए

इक़बाल सिंह “राशा“ said

धन्यवाद वंदना जी
मैं तो तुच्छ से भी तुच्छ, कण मात्र भी नहीं
ये तो मात्र आपका स्नेह बड़प्पन और साहित्य की अच्छी समझ है

सुभाष कुमार यादव said

क्या कहने। बेहतरीन। गहरी वैचारिकता एवं अनुभवी रचनाकार की कलम ही ऐसी रचना लिख सकती है। सादर प्रणाम।🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

ये तो दिल के बेहद करीब से निकला है। आपकी हर पंक्ति जैसे एक चुप्पी को आवाज़ दे रही हो। सच में, ये रचना मन के कोनों में धीरे से उतरती है और वहां एक अजीब सी खामोशी छोड़ जाती है। शब्द कम पड़ जाते हैं इसे सराहने के लिए। अद्भुत ✨!, आदरणीय को सादर प्रणाम

इक़बाल सिंह “राशा“ said

धन्यवाद सुभाष कुमार यादव जी
सादर प्रणाम

इक़बाल सिंह “राशा“ said

धन्यवाद अशोक जी
सादर प्रणाम

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