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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

इक़बाल सिंह राशा की कविता “ मौन की व्यथा और प्रभु की परछाईं”

मैं धुंध था —
क्षितिज की कोर पर ठहरी एक साँस,
जो किसी दीप के स्पर्श में पिघलना चाहता था।
पर जिन्हें मैंने आलोक समझ
अपने अंधेरों में आमंत्रित किया,
वे ही मुझे छाँव से वंचित कर
धूप का दंड दे गए।

मैंने संबंधों की सूनी डालियों पर
अपनी चुप्पियों के पंछी बिठाए थे,
पर हर उड़ान ने
मुझसे मेरी हवा भी छीन ली।

वे अपने थे —
कंधों पर सिर रखे,
मेरी धड़कनों की परिभाषा बने थे,
पर अंततः वही —
मेरे मौन की थकान पर
शंका के पत्थर फेंकते रहे।

हे परम पुरुष!
क्या यही तेरी रचना का विधान है —
कि जो प्रेम करे, वह जलता जाए
और जो छल करे, वह फूलों सा पूजित हो?

अब मैं तेरे सम्मुख
किसी टूटी वीणा की तरह
सन्नाटा बजाना चाहता हूँ।

न मैं क्षमा चाहता हूँ,
न दंड से भयभीत हूँ—
बस इतनी कृपा कर
कि मुझे अपने किसी एक तट पर
ठहरने की अनुमति दे दे…
जहाँ संबंधों की तूफ़ानी नावें
मेरी आत्मा को और न खींचें।

मैं दीपक नहीं, प्रभु —
बस बुझती हुई बाती हूँ,
जो तेरे स्पर्श में
अर्थपूर्ण बुझना चाहती है।

अपनी गोद की धूल बना ले मुझे —
जहाँ मेरे आँसू
ओस न होकर
तेरे आँगन की पूजा बन जाए।

-इक़बाल सिंह “राशा”
मानिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

वन्दना सूद said

Sir , आज शब्द नहीं हैं मेरे पास आपकी इस करुण पुकार के लिए 🙏🙏इतना ही कह सकती हूँ कि
हर शब्द अपना सा लगता है
हर भाव अपना सा लगता है
हर पुकार में दर्द अपना सा लगता है

उपदेश कुमार शाक्यावार said

भाव विभोर करती रचना

इक़बाल सिंह “राशा“ said

धन्यवाद वंदना जी

इक़बाल सिंह “राशा“ said

धन्यवाद वन्दना जी

इक़बाल सिंह “राशा“ said

धन्यवाद उपदेश कुमार शाक्यावार जी

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