जीवन-पथ में कंटक बिछे हैं,
हर कदम पर चुभते शूल,
भाग्य नहीं, साहस के बल पर,
खिलते हैं हरियाले फूल।
बाधाएँ आएँ, आएँ तूफ़ां,
पर्वत से टकराना होगा,
निर्बल बनकर झुकने से क्या?
अग्नि-पथ अपनाना होगा।
है संघर्ष स्वयं जीवन का,
यह जड़ता से मर जाता है,
जो गिरकर फिर उठ ना पाए,
वह किस्मत को ठुकराता है।
पथ में अंधियारे होंगे ही,
खुद दीप जलाने होंगे,
संघर्षों में पलता जीवन,
आशा के फूल खिलाने होंगेI
हैं वे ही पूज्य, अमर, ऊँचे,
जो जलकर दीप बने हैं,
त्याग, तपस्या, कर्म-मार्ग से,
नभ में रवि सम तने हैं।
सागर भी थककर लौटेगा,
लहरें भी चुप हो जाएँगी,
पर जो डटकर खड़ा रहेगा,
उसकी गाथाएँ गाएँगी!
तो मत डर विपदाओं से,
इनसे टकराना होगा,
जीवन पाना है गर सच्चा,
तो जीने का जज़्बा लाना होगा!
-इक़बाल सिंह “राशा”
मानिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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