कभी भी किसी से नज़र मत चुराना
अगर हो सके तो सदा मुस्कुराना ।।
बहुत नींद गहरी हैं ख़्वाबों में खोये
उन्हें हो सके तो अभी मत जगाना।।
गमों की गहरी इस गुफा में घुटन है
जरा हो सके तो हवा ताजा लाना।।
नफरत की दलदल में धरती धंसी है
मुहब्बत का है एक नया पुल बनाना।।
यह मासूम बचपन बहुत भोला भाला
कभी जीते जी तो इन्हे मत रुलाना ।।
है ताकत कलम में तो सबसे ज्यादा
जरा याद रखना दास यह ना भुलाना।।