खुश रहो कहते हैं हर मोड़ पे, हर बात पे लोग,
ज़िंदगी भर मगर दिल तोड़ते हैं दिन-रात पे लोग।
मुस्कराहट का तकाज़ा तो सभी करते हैं,
आँसुओं की नमी खोजते हैं जज़्बात पे लोग।
हमने चुप रह के भी हर वार सहा है उनका,
और इल्ज़ाम लगाते हैं हमें ही सौग़ात पे लोग।
जो भी देखा हमें सच बोलते, डर गए,
झूठ को करते हैं राजा, हक़ को मात पे लोग।
बच के चलना यहाँ, आईनों का दौर है,
चेहरों पे नक़ाब हैं, दिल पे बात-बात पे लोग।