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Name (English):
DR. KANCHAN JAIN "SWARNA"
Name (Hindi):
डॉ कंचन जैन "स्वर्णा"
Occupation:
वर्तमान में आप कई राष्ट्रिय एवं अंतराष्ट्रीय संगठनों में सम्मानित पदों पर प्रदत्त कार्यों का सकुशल निर्वहन कर रही हैं
Education:
पी एच् डी - शिक्षा शास्त्र, परास्नातक - शिक्षा शास्त्र, बी एड, परास्नातक अंग्रेजी, स्नातक ऑनर्स समाज शास्त्र
City:
अलीगढ
Pincode:
202002
State:
उत्तर प्रदेश
Country:
भारत
About:
नाम- डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" [DR. KANCHAN JAIN "SWARNA"]
मूल स्थान- अलीगढ, उत्तर प्रदेश [ALIGARH, UTTAR PRADESH]
शिक्षा- पी एच् डी - शिक्षा शास्त्र, परास्नातक - शिक्षा शास्त्र, बी एड, परास्नातक अंग्रेजी, स्नातक ऑनर्स समाज शास्त्र
उपलब्धियां- आपने अपनी शिक्षा, समाज सेवा एवं साहित्य लेखन का लोहा राष्ट्रिय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनवाया है जहाँ आपको १०० से अधिक शिक्षा, समाज सेवा एवं साहित्य लेखन के क्षेत्र में सम्मान प्राप्त हैं अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में आपके शोध पत्र प्रकाशित होते रहते हैं जिनकी संख्या लेख लिखे जाने तक १७ या उससे अधिक है।
आपके साहित्य लेखन के लगभग १२ अध्याय राष्ट्रिय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकों में प्रकाशित हैं।
आप शिक्षा, समाज सेवा एवं लेखन साहित्य से जुड़े विभिन्न २५ वेबिनार में ससम्मान प्रतिभागी रही हैं एवं ऐसे ही १० वेबिनारों में बतौर स्पीकर भी रह चुकी हैं।
वर्तमान में आप कई राष्ट्रिय एवं अंतराष्ट्रीय संगठनों में सम्मानित पदों पर प्रदत्त कार्यों का सकुशल निर्वहन कर रही हैं।
आपको कई राष्ट्रिय एवं अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा मानद पदों की उपाधि भी दी गयी है जिनमे से कई अनतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों ने आपको एम्बेस्डर पद के लिए योग्य पाया एवं चुना गया।
आपकी योग्यता शिक्षा एवं समाजसेवा यहीं तक सीमित नहीं रहती है इसके अलावा भी आपने इन क्षेत्रों में ३ अन्य वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर सम्पूर्ण विश्व में भारत का नाम गर्व से ऊँचा किया है।
साउथ अफ्रीका द्वारा २०२३ में प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से सामाजिक कार्यों के लॉग बुक के चयन उपरांत आपको सामाजिक सेवा में पी एच् डी से सम्मानित किया गया जो बहुत ही गौरव का विषय है।
प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लगभग ९० आर्टिकल प्रकाशित होने के साथ साथ १०० के लगभग मौलिक रचनायें विभिन्न समाचार पत्रों एवं राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।
Other Details:
आपके अनुसार आप अभी भी स्वयं को अध्यन के क्षेत्र में परिपक्व नहीं मानती हैं जो कि निश्चित ही किसी भी प्रतिष्ठित एवं पढ़े लिखे विद्वान् की अवधारणा को प्रस्तुत करता है - आपका पुस्तक लेखन का कार्य प्रगति पर है।