किताबें जो खरीदते थे,
मेहनत को बेचकर।
आज वो रोटी खरीद रहे हैं,
किताबों को बेचकर।
हाय! ये बेरोजगारी।
कौशल खा गई,
किसी का खेत खा गई।
राष्ट्र का विकास,
युवाओं का भविष्य खा गई।
अभी भी,
आंखें बड़ी करके देख रही है।
किसी का जीवन,
तो किसी का सहारा खा गई।