फ़र्क दिन और रात का था,
फर्क इंसान और हैवन का था।
बर्बरता चरम पर थी,
और सितारे गर्दिश में थे।
कब तक मौत नाचती रहेगी,
इन अत्याचारों के तरानों पर।
इंसानियत मर गई है,
या उसने आत्महत्या कर ली है।
इंसान अब इंसान रहा नहीं,
या जगह हैवान ने ले ली है।
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इंसानियत मर गई है,
या उसने आत्महत्या कर ली है।
इंसान अब इंसान रहा नहीं,
या जगह हैवान ने ले ली है।