इक दिन तुम्हें भी होगा ये प्यार देख लेना
हो रूबरू करोगे स्वीकार देख लेना।
है मौन में छुपा जो इज़हार देख लेना
होठों की इस लरज़ में इक़रार देख लेना।
इक डोर में बँधे हैं अब दूर होंगे कैसे
हर जन्म में मिलेंगे हम यार देख लेना।
मायूसियाँ जो घेरे तुमको कभी सफ़र में,
सपनों का वो सुहाना संसार देख लेना।
तुम एतबार रश्मी करना नहीं किसी पर,
इन फूलों में छुपे हैं कुछ ख़ार देख लेना।
----रश्मि ममगाईं