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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

दयालुता का बीज

छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच बसे एक गांव में मोहन नाम का एक लकड़हारा रहता था। एक ठंडी शरद ऋतु की सुबह सुबह, मोहन को बुखार हुआ, जिससे उसका सारा शरीर जलने लगा। वह खाँस रहा था, उसका पूरे शरीर में दर्द हो रहा था, और उसे पता था कि वह काम नहीं कर सकता। उसकी छोटी सी झोपड़ी में अकेले, निराशा उसे जकड़ रही थी। कौन उसके लिए पानी लाएगा, उसके लिए खाना बनाएगा, उसका अकेलापन उसे डस रहा था।
अचानक, उसके दरवाजे पर एक लयबद्ध दस्तक सुनाई दी। यह मालिनी थी, एक बूढ़ी औरत जिसकी आँखों में हज़ारों शरद ऋतुओं की बुद्धि थी। मोहन , जो उसका अभिवादन करने में बहुत कमज़ोर था, केवल एक कर्कश आवाज़ ही निकाल पाता है। मालिनी, एक जानकार मुस्कान के साथ, अंदर आई, उसके हाथ आश्चर्यजनक तेज़ी से हिल रहे थे। उसने मोहन के बुखार से भरे माथे को पोंछा, उसका स्पर्श एक सुखदायक मरहम था।
मालिनी, अपनी उम्र के बावजूद, मोहन की अथक देखभाल करती रही। उसने अपने गुप्त बगीचे से उसे उपचारात्मक काढ़ा पिलाया, उसकी कहानियाँ लंबी, बुखार भरी रातों में एक सुकून देती थीं। धीरे-धीरे मोहन के गालों पर रंग लौट आया, उसके कमजोर शरीर में ताकत आ गई। एक सुबह, वह उठा और मालिनी को गठरी बांधते पाया।
"अब तुम ठीक हो," उसने कहा, उसकी आवाज़ दृढ़ लेकिन कोमल थी। "याद रखो, दयालुता एक बीज है। जहाँ भी जाओ, इसे बोओ।" यह कहकर, वह जाने के लिए मुड़ी। कृतज्ञता से अभिभूत मोहन ने अपनी अल्प बचत को उठाया। मालिनी ने हँसते हुए कहा, उसकी झुर्रियाँ गहरी हो गईं।
"सबसे बड़ा उपहार," उसने चमकते हुए कहा, "इसे आगे बढ़ाना है।"
मोहन , अपने दिल से भरा हुआ, मालिनी की सीख को कभी नहीं भूला। उसने ज़रूरतमंदों की मदद की, गाँव में दयालु लकड़हारे के रूप में जाना जाने लगा। और इस तरह, एक बूढ़ी महिला द्वारा बोया गया दयालुता का बीज एक विरासत में खिल गया जिसने न केवल एक जीवन, बल्कि पूरे गाँव को गर्म कर दिया।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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Shyam Kumar said

Bahut sundar likha ha...insan ko hmesa kind rhna chahy. Tbhi bhagwan apni krpa krte hain.

डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" replied

धन्यवाद 🙏

Bhushan Saahu said

Bahut achaa smjhaya

डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" replied

धन्यवाद 🙏

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