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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

भ्रष्टाचार एक कोढ़

कलम और कागज ही बचे थे।
जिस पर भविष्य टिका था,
राष्ट्र का।
आज बेरोजगारी ने उसे भी खा लिया।
महंगाई की मार ने,
आज एक बच्चे के हाथ,
कलम और कागज बिकवा दिया।
झुग्गी और झोपड़ियां
आज भी विकास की धारा से कोसों दूर हैं।
भ्रष्टाचार के कोढ़ ने ,
न्याय को लाचार बना दिया।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

रमेश चंद्र said

समाज की सच्चाई आपके विचारों से बिल्कुल बयान हो रही है

डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" replied

धन्यवाद 🙏

Bhushan Saahu said

गहरे विचार और सुंदर प्रस्तुति

डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" replied

धन्यवाद 🙏

Vineet Garg said

पता नहीं बेरोजगारी से कब छुटकारा मिलेगा बेरोजगारी के चलते कितने परिवार तबाह हो गए कितनों के बेटे चोर डकैत बन गए आपने बिल्कुल सही लिखा है मैं सादर नमन करता हूं आपको इतना सुंदर लिखने के लिए

डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" replied

धन्यवाद 🙏

कमलकांत घिरी said

बहुत खूब लिखा है मैम, आपने देश में फैली बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी और भ्रष्टाचार को बहुत ही कम शब्दों में बहुत ही प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है, बहुत सुंदर रचना मैम👌👏👏👏👏

डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" replied

धन्यवाद 🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

आपने बहुत सुन्दर तरीके से बयां किया भ्रस्टाचार को वास्तव में लेखन एक कला है जो किसी भी परिस्थिति को बहुत अच्छे ढंग से समाज के सामने प्रस्तुत करती है, आपका योगदान उत्तम है समाज की जिम्मेदारी बनती है कि इन लेखों से रचनाओं से कुछ सीखें और उनका अनुपालन करें कहीं न कहीं हम सब जिम्मेदार हैं भ्रस्टाचार को बढ़ावा देने के लिए हमें एक बिंदु पर रुक कर इसके बारे में सोचने की आवश्यकता है - बाकी आप विशेषज्ञ हैं अवश्य ही इसकी दवा खोज निकाल पाएंगे आप किसी दिन

डॉ कंचन जैन "स्वर्णा" replied

धन्यवाद 🙏

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