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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

छोटी सी दयालुता




एक हलचल भरे बरगद के पेड़ में पीकू रहता था, जिसके पंख पकी हुई जामुन की तरह बैगानी थे। वह अपने झगड़ालू भाई-बहनों के बिल्कुल विपरीत, पीकू ने शरारतों की बजाय शान्ति को प्राथमिकता दी। एक सुबह तेज़ हवा के साथ, एक नन्ही चिड़िया अपने घोंसले से गिर पड़ी, उसका पंख टूट गया। भयभीत और अकेली चिड़िया संकट में चहचहाने लगी। पीकू, चिंता से भरा दिल लेकर उसके पास उतरा। चिड़िया फड़फड़ाई, लेकिन पीकू की कोमल कूक ने उसकी घबराहट को शांत कर दिया। पीकू जानता था कि चिड़िया अपने आप जीवित नहीं बचेगी। पिंकू ने अपने फल को साझा किया, धैर्यपूर्वक छोटे-छोटे टुकड़ों को दिया। तभी उसके मन में एक विचार आया। उसने ध्यान से चिड़िया को अपनी पीठ पर उठाया, उसका छोटा रूप उसके गर्म पंखों के बीच छिपा हुआ था। अतिरिक्त वजन के बावजूद, पीकू ने अपने पंख फड़फड़ाये और चिड़िया के ऊंचे आम के पेड़ की ओर उड़ गया। यात्रा लंबी थी, लेकिन पीकू दृढ़ रहा। आम के पेड़ के पास पहुँचकर, एक चिड़िया माँ ने झपट्टा मारा, उसके चेहरे पर राहत छा गई। पीकू ने आश्वस्त होकर चहकते हुए धीरे से अपना कीमती चिड़िया को नीचे उतारा। चिड़िया माँ कृतज्ञता से अभिभूत होकर चहक उठी और पीकू को जीवन भर दोस्ती निभाने का वादा किया। पीकू की दयालुता की खबर पूरे जंगल में आ गई। उस दिन से, जब भी किसी प्राणी को मदद की ज़रूरत होती, पीकू वहाँ मौजूद होता, उसका दिल दयालुता के गीत से भरा होता था जो पेड़ों के बीच गूंजता था। जंगल, जो कभी झगड़ों से भरा रहता था, सहयोग का स्वर्ग हो गया, यहां सब दयालुता के राग छोटे पीकू के कारण हुआ।

शिक्षा - दयालुता, चाहे कितनी भी छोटी क्यों न हो, व्यापक प्रभाव डाल सकती है, जिससे दुनिया स्वर्ग बन सकती है।




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