फिर गर्दिश की बिजली टूटी है,
आज फिर एक मासूम की किस्मत फूटी है।
अभी कितने और हैवान बाकी हैं, धरती पर।
यह धरती पुकार रही है।
सजा मिलती नहीं इनको ,
डर रहा नहीं कुदरत के कहर का।
डर रहा नहीं इनको न्याय व्यवस्था की मार का।
अभी कितनी बलिया चढनी और बाकी हैं,
क्यों नहीं जागते पहचान बनाने को इंसान की।
इन घटनाओं से दिल बहलाता नहीं क्या,
या फिर दोहराने का इंतजार करते हो,
अपने घर का क्या।
यह बर्बरता कब बंद होगी,
हर नारी पुकार रही है।
यह हैवानियत रोज एक नई जिंदगी,
उजाड़ रही है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




