लुटाकर सबकुछ तेरे महफ़िल में
हम खाली हाथ लौटें हैं ।
मयखाने में पहुंचकर भी खाली
गिलास लौटें हैं।
फिरभी जुबां पे अपनी सिर्फ़ तेरा नाम
लिए बैठें हैं।
सिर्फ़ तेरा हीं नाम लिए बैठें हैं...
तू क्या समझेगी इस दिल की बात
जो हर बात में एक अलग अंदाज़ लिए
बैठें हैं।
फिरभी तेरी चाहत तेरा प्यार और इस दिल
में तेरी आरज़ू लिए बैठें हैं।
दीदारे यार हुस्न ए प्यार कब से लिए दिल
बेकरार बैठें हैं।
तू बन जा लाख सीतमगर सनम या कोई
बेवफा सनम
इस दिल में तेरी तलबगार लिए बैठें हैं।
बिन तेरे तो बेजान सा हम बेज़ार हुए
बैठें हैं।
बस चल रही है अपनी मोहब्बत की कस्ती
तमाम दुश्वारियों के बाद भी क्योंकि हाथों में
अपने तेरी यादों की पतवार लिए बैठें हैं।
उड़ रहा हूं आसमानों में मोहब्बत की
क्योंकि तेरी यादों के पंखों पर सवार बैठें हैं..
तेरी यादों के पंखों पर सवार बैठें हैं...