कापीराइट गजल
मतलब तुम्हारी बात का जानते हैं हम
कीमत तुम्हारी क्या है, ये जानते हैं हम
क्यूं बनते हो मददगार, दुनियां के सामने
ये आस्तीन में क्या है, ये जानते हैं हम
तुमने हमारे साथ क्या-क्या नहीं किया
जो करना चाहते हो, वो जानते हैं हम
पीठ थपथपा रहे, अपनों से दूर करके
थे अच्छे नहीं हालात, ये जानते हैं हम
हम आप के जैसा, ना बन पाएंगे कभी
दिल में तुम्हारे क्या है, ये जानते हैं हम
शतरंज की बिसात पर, लेते हो इम्तिहान
ये खेल है शय मात का, ये जानते हैं हम
ऐसा करके तुमको, कुछ हासिल नहीं होगा
यादव से है अदावत, ये जानते हैं हम
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है