बगिया में तरह-तरह के फूल देखने भर से।
प्रेम आता हैं मगर हवा मे खुशबू जिधर से।।
मेरे हिस्से में न आया हवा ले गई उड़ा कर।
तबियत मचलती रही हवा के साथ इधर से।।
इंतजार करने की आदत प़ड गई 'उपदेश'।
परेशान हो जाता इशारा न पाकर उधर से।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद