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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक दिन आईना बेचैन हुआ

एक दिन आईना बेचैन हुआ
एक दिन आईना बेचैन दिखा
अपने वजूद से परेशान दिखा
पूछने पर बताने लगा कि
एक समय ऐसा था जब
दिल के सच्चे ,ईमान के पक्के
गुणों की सुंदरता से सजे
हर पल हँसते चेहरे निहारता
और अपने-आप पर इतराता
समय के बदलाव ने सब कुछ बदल दिया
दिल वही है सुंदरता वही है चेहरे भी वही हैं
पर न पहले जैसी सच्चाई है उनमें
न ईमान बचा ,न गुण हैं वैसे
और न ही हँसते दिखाई देते हैं
अकेलापन दिखता है आँखों में
मुस्कुराहट में उदासी छुपी रहती है
आज नहीं जीना चाहता मैं आईना बन कर
जब हो जाएँगे सब पुराने जैसे
मैं फिर बन जाऊँगा आईना पर अभी नहीं जी पाऊँगा मैं ऐसे ॥
-वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

अवर्णनीय - बहुत संदर रचना एवं उससे भी ज्यादा सुन्दर इसका सन्देश एवं निर्जीव वस्तु को सजीव करने का वाक्य प्रयोग जो अद्भुत रचनात्मकता को प्रदर्शित करता है एवं शब्दों को जीवंत करता है

वन्दना सूद replied

बहुत बहुत शुक्रिया 🙏🙏

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