एक दिन आईना बेचैन हुआ
एक दिन आईना बेचैन दिखा
अपने वजूद से परेशान दिखा
पूछने पर बताने लगा कि
एक समय ऐसा था जब
दिल के सच्चे ,ईमान के पक्के
गुणों की सुंदरता से सजे
हर पल हँसते चेहरे निहारता
और अपने-आप पर इतराता
समय के बदलाव ने सब कुछ बदल दिया
दिल वही है सुंदरता वही है चेहरे भी वही हैं
पर न पहले जैसी सच्चाई है उनमें
न ईमान बचा ,न गुण हैं वैसे
और न ही हँसते दिखाई देते हैं
अकेलापन दिखता है आँखों में
मुस्कुराहट में उदासी छुपी रहती है
आज नहीं जीना चाहता मैं आईना बन कर
जब हो जाएँगे सब पुराने जैसे
मैं फिर बन जाऊँगा आईना पर अभी नहीं जी पाऊँगा मैं ऐसे ॥
-वन्दना सूद