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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

इक़बाल सिंह “राशा” की कविता “माँ, तू धरती है…”

माँ…
तू सिर्फ़ जननी नहीं—
तू धरती है।
जिस पर मैं गिरा, बिखरा, टूटा—
पर हर बार,
तेरी गोद की नमी ने
मुझे फिर जीवन दिया।

तू वो सुबह की धूप है
जो मेरी नींद में उतरती थी,
तेरे स्पर्श में
सूरज की पहली किरण
और चाँद की अंतिम चुप्पी दोनों समाई थीं।

माँ,
दुनिया अब मेरे कंधों पर
पत्थर रखती है—
हर रिश्ता
एक अनकहा समझौता बन गया है,
हर प्यार—
एक उधार की साँस जैसा लगता है।

मैं थक गया हूँ, माँ…
लोग मुस्कुराते हैं,
पर उनकी आँखें
आईनों से भी ज़्यादा झूठ बोलती हैं।

माँ मैं फिर से बच्चा बनना चाहता हूँ—
जिसे नींद से पहले
तेरे आँचल की कहानी चाहिए होती थी,
जिसे भूख से पहले
तेरे हाथ की रोटी की खुशबू जगाती थी।

माँ,
तू नदिया है—
मैं तुझमें बहकर
हर दुख को धो देना चाहता हूँ।
तू हवा है—
मैं तेरे आंचल में छुप कर
हर जहर को छोड़ देना चाहता हूँ।

तेरे केशों की खुशबू में
अब भी मिट्टी की वही महक है,
जिसे सूंघते ही
मेरे अंदर का संसार
शांत हो जाता है।

अब इस संसार से दूर—
जहाँ प्रेम भी व्यापार हो गया है,
जहाँ अपनापन
नाम की एक रस्म बन कर रह गया है—
मैं तेरी गोद में सर रखकर
फिर से मिट्टी बन जाना चाहता हूँ।

ना कोई नाम हो,
ना चेहरा,
ना कोई रिश्ता
जो पहचान माँगे।

बस तू हो—
तेरे हाथों की थाप हो,
तेरी लोरी की धीमी बूँदें हों,
और मैं—
एक चुप नींद में
तुझमें सिमट जाऊँ…
हमेशा के लिए।

-इक़बाल सिंह “राशा“
मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अतिसुंदर अतिसुंदर अति सुन्दर रचना। अंतर्मन से मां की स्तुति और वर्तमान में सृजित विकारों से मुक्ति के लिए मां से गुहार। वास्तव में मां ही जिसके पास हमारे हर दर्द का ईलाज है। उत्कृष्टतम रचना।राशा जी बधाई बधाई बधाई। नमस्कार।

शिवचरण दास said

बेहतरीन. .. माँ सचमुच ही सम्पूर्ण सृष्टि है जीवन की राशा है

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

वाह! लाजवाब! बे-मिसाल! माॅं है अम्मा है आई है! सब उस ख़ुदा की ख़ुदाई है!! 👌👌👏👏🙏

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