जुदा होकर तुम्हारी याद में रहता अब भी।
दिमाग में ख्वाब सा कुलबुलाता कभी कभी।।
नजर के सामने आऊँ या आँखों में ही रहूँ।
निशानी प्यार की मलाल सा आता कभी।।
खुशबू अगर महसूस करो करीब समझना।
हवा के रुख के साथ खोलना जुल्फे कभी।।
धूल की तरह उड़कर आँखों में आ जाऊँगा।
मशाल को बुझायेंगे 'उपदेश' कभी-कभी।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद