कोई मेरी नज़्मों का दीवाना बन जाए
ये मुझे मंज़ूर है,
पर कोई मेरा दीवाना बन जाए
ये मुझे मंज़ूर नहीं।
कोई मेरी नज़्मों से इश्क़ करे तो वो इश्क़
हमेशा बरकरार रहे,
पर कोई मुझसे इश्क़ करे ये मुझे मंज़ूर नहीं।।
कोई दिन-रात मेरी नज़्मों के पीछे पागल बन
फिरता फिरे ये मुझे मंज़ूर है,
पर कोई मेरे पीछे पागल हो ये मुझे मंज़ूर नहीं।
कोई मेरी नज़्मों को सीने से लगाकर रखे
तो बेशक रखे,
पर कोई मुझे सीने से लगाना चाहे ये मुझे मंज़ूर नहीं।।
🖊️ रीना कुमारी प्रजापत 🖊️