कापीराइट गजल
अब चल रहा है कौन सा राग महफिल में
मजा आया नहीं हम को आज महफिल में
ये सुर ताल ये संगीत तुम लाए हो कहां से
नहीं गल रही तुम्हारी अब दाल महफिल में
सुना है गीत महफिल में गाते हो बहुत तुम
लगा पाए नहीं अब तक आग महफिल में
छलके नहीं आंसू इनकी आंख से अब तक
छेड़ सुर कोई ऐसा लगा दे आग महफिल में
करार दिल को आ जाए गीत गा कोई ऐसा
मजा आ जाए सबको लगा दे आग महफिल में
न जाने हो गया है क्या आज तुमको यादव
कर शायरी ऐसी लगा दे आग महफिल में
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है