आपका रुख जाने, किधर है ज़नाब..
बाएं मुड़कर ही अपना, घर है ज़नाब..।
ज़ुबाँ के तीर का, अब भी दर्द बहुत है..
ज़िस्म में जाने कितना, ज़हर है ज़नाब..।
खुशियों में तो, गले लगाया लेकिन..
मुश्किल वक्त में, क्यूं अगर–मगर है ज़नाब..।
यहां बेरूख़ी से अब ना यूं, हैराँ होना..
ये तरक्की करता, शहर है ज़नाब..।
निकलता हूं मैं भी, सबसे नजर बचाकर..
मुझ पे भी बदले ज़माने का, असर है
ज़नाब..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




