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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अल्फाज़

उड़ने का शौक हम भी रखते हैं
पर ज़मीं पर चलने की आदत नहीं छोड़ना चाहते
क्योंकि ज़िन्दगी से इतना सबक तो मिल ही गया है
कि ऊपर से नीचे गिर कर सँभलना आसान नहीं है
और एक मुकाम पर पहुँच कर वापिस ज़मीं पर आना तय है ..
वन्दना सूद


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

शिवचरण दास said

बिल्कुल सही लिखा है आपने वन्दना जी ऊपर से गिरकर सिर्फ टूटता है कोई सम्भलता नहीं है. .वाह

वन्दना सूद replied

संभलना यकीनन मुश्किल है

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर।👌👌🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏

ललित दाधीच said

घर वापसी ज़रूरी है, अच्छे सत्यात्मक विचार हैं आपके, और शायद बहुत से वास्तविक अनुभव होंगे।।

वन्दना सूद replied

अनुभव तो हर उम्र करा ही देती है कौन कितना समझता है यह उसकी सोच पर निर्भर करता है 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अनुभवशीलता से लबालब भरी कविता। वाह!!

वन्दना सूद replied

🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत खूबसूरत अल्फ़ाज़ हैं....👏👌👍🙏🙏🤗

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

फ़िज़ा said

उड़ने का शौक हम भी रखते हैं
पर ज़मीं पर चलने की आदत नहीं छोड़ना चाहते सुन्दर संदेशात्मक रचना

वन्दना सूद replied

🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

क्या कमाल की सोच है! 🌟 उड़ान और हकीकत का ऐसा सटीक मिलान… ज़िंदगी का सच्चा फ़लसफ़ा बयान कर दिया आपने! दिल से सलाम! 👏✨ - आदरणीय Mam, को सादर प्रणाम

वन्दना सूद replied

आपके खूबसूरत शब्दों के लिए शुक्रिया अशोक जी 🙏🙏😊

श्रेयसी said

वाह बहुत सुंदर रचना सही कहा आपने मिट्टी में हीं अंतिम सफर है 🙏🙏

वन्दना सूद replied

बिल्कुल सही कहा आपने 🙏🙏

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