उससे जरूर ही दिल का गहरा नाता है
बिन कहे सब कुछ समझ जाता है
आज खुशखबरी तो कोई मिली है जरूर
ये आपकी मुस्कान का ढंग बताता है
परदेश मे कोई आफत जब आई हम पे
माँ के चेहरे का रंग ही उतर जाता है
बहुत करीने से सजा दी हैं किताबें घर में
एक शायर बहुत कुछ समझ जाता है
कई दिनों से दास जो भुखमरी का शिकार
देखले सामने पकवान तो डर जाता है
मेरे करीब भी आके खामोश निकल जाते हैं
हरेक ख्वाब हमारा तो बिखर जाता है II