
लेखक और पत्रकार परिमल कुमार ने पत्रकारिता के अपने 17 वर्षों के अनुभवों को 'रिपोर्टर ऑन द ग्राउंड' के रूप में शब्दबद्ध किया है। लगभग 170 पृष्ठों की इस पुस्तक को राधाकृष्ण पेपरबैक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है। पत्रकारिता से जुड़ी छोटी छोटी और व्यवहारिक बातों को बताने का प्रयास लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम से किया है। वर्तमान में उन छात्रों के लिये जिन्होनें अभी अभी पत्रकारिता में कदम रखा है यह पुस्तक एक हैण्डबुक की तरह है।
पुस्तक में लेखक द्वारा 25 स्क्रिप्ट और लगभग 50 पीटीसी( पीस टू कैमरा) बताये गये हैं जिनसे अलग अलग रिपोर्ट्स के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया गया है। बीट का चयन हो या भाषा पर पकड़ की बात हो, पुस्तक स्क्रिप्ट लिखने से लेकर रिपोर्ट समेटने यानी पीटीसी तक की व्यवहारिक चुनौतियों को उजागर करती है। पुस्तक के माध्यम से रिपोर्टर की नज़र और नजरिये में सुधार की सम्भावना तलाशी गयी है। रिपोर्ट की हैडिंग क्या हो, उच्चारण कैसा हो और नुक्ते कहां हों इसका खयाल भी पुस्तक में रखा गया है।
कुछ ऐसे शब्द भी बताये गये हैं जिनको बोलते- लिखते समय अक्सर चूक हो जाया करती है। मोबाइल पत्रकारिता, मोजो की शुरूआती चुनौतियों को बताते हुए वर्तमान समय में मोजो की स्वीकार्यता और सुगमता पर बात की गयी है। कुल मिलाकर पुस्तक में उन सभी पहलुओं को छूने का प्रयास किया गया है जो एक शुरुआती रिपोर्टर को परेशान करतीं हैं। सैद्धांतिक रूप से रिपोर्टिंग में क्या करना है और क्या नही करना है यह तो पता चल जाता है लेकिन कैसे करना है यह इस पुस्तक के माध्यम से आसान भाषा में बताया गया है।
पुस्तक समीक्षक अनुज चतुर्वेदी
(पत्रकारिता विश्विद्यालय, जयपुर में अतिथि शिक्षक हैं )