बन्द पिंजड़े की मैना नहीं
अश्रु बहाते नैना नहीं
बीत ना पाये वो रैना नहीं
दया करूणा हृदय में समाए
ममता वात्सल्य के भाव आये
सेवाभाव का हूं सागर लहराती
पर बीच मझधार की नांव नहीं
बुझते शोलों की आग नहीं
भड़क ना पाये वो अंगार नहीं
सब को संवारते खुद मिट जाए
कागज लिखी वो इबारत नहीं
जग मुझमें समाया तुझे जग
मैंने ही दिखाया तुझे जग
मैंने ही दिखाया
समर्पिता हूं पराधीना नहीं
भक्ति हूं मै शिवशक्ति हूं
अर्धनारीश्वर का अर्ध स्वरूप
सबल समर्थित भव्य रूप
अबला शक्ति हीना नहीं
आज की हूं नारी मै
आज की हूं नारी मै
पर दया की भूखी बेचारी नहीं
✍️#अर्पिता पांडेय