जब दुनिया में हर रिश्ता तोलने लगा,
एक कुत्ता ही था जो दिल से बोलने लगा।
डेज़ी की आँखों में मासूम नज़र,
बुल्लू की दुम में खुशियों का सफर।
पॉली का प्यार, निस्वार्थ बड़ा,
इनके बिना घर भी लगता पड़ा।
ना कोई शर्त, ना कोई धोखा,
हर दिन बस प्रेम का आलोक था।
चाहे अमीर हो या कोई गरीब,
इनका प्यार बस सच्चा, अटल, अजीब।
जब थक कर घर लौटूं मैं,
तो दरवाज़े पर उत्साह लिए खड़ी हैं ये।
ना कोई शिकवा, ना कोई सवाल,
बस आँखों में समर्पण का उजाल।
बेरहम दुनिया ने कई जख़्म दिए,
पर इनकी वफ़ादारी अडिग रही।
इंसानों ने इंसानियत खो दी अगर,
पर इन मासूमों ने प्यार संजो लिया मगर।
सर्दी हो, गर्मी हो या बरसात,
हर लम्हा ये रहें मेरे साथ।
दुनिया कहे, ये बस जानवर हैं,
पर मैंने जाना— ये भगवान के वरदान हैं।
अगर कोई सच्चा प्यार देखना चाहे,
डेज़ी, बुल्लू और पॉली के मन में झांके।
इंसान भले स्वार्थ में अंधा हो जाए,
पर इनकी नज़रों में प्यार कभी ना मुरझाए।
💖 मेरे तीन अनमोल रत्न – डेज़ी, बुल्लू और पॉली! 💖
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




