तक़दीर खेले भले ही मेरे साथ कितने ही
दर्दनाक खेल,
पर अपनों को भूल जाना मेरी फितरत में नहीं।
मिलना या ना मिलना तो नसीब की बात है,
मैं उन्हें पाने की कोशिश ही ना करूं ये तो
मुमकिन नहीं।।
नामुमकिन को मुमकिन बनाने की कोशिशों में
लगी रहती हूॅं,
कोई मेरी कोशिश को रौंदने की कोशिश करे
ये मुझे बर्दाश्त नहीं।
क्या - क्या ना दर्द झेला मैंने अपने सपनों को
पूरा करने के लिए,
फिर बीच राह से ही मुड़ आऊं ये मुझे मंज़ूर नहीं।।
कहे कितना ही भला बुरा मुझे ये ज़माना,
पर मैं किसी को बुरा कहूं ये मेरे संस्कार नहीं।
ज़ख्मों पर मरहम लगाना जानती हूॅं,
लोगों की तरह ज़ख़्मों पर नमक छिड़कना
मुझे पसंद नहीं।।
🌼 रीना कुमारी प्रजापत 🌼
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




