मैं सितारे की तरह चमकता हूँ उससे रोशनी लेकर।
वह भी खुश 'उपदेश' सूरज की तरह रोशनी देकर।।
जरूरत महसूस हुई तबियत मचल के कहने लगी।
मिलने जुलने की बात तय होने लगी जमीं देखकर।।
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
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वह भी खुश 'उपदेश' सूरज की तरह रोशनी देकर।।
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मिलने जुलने की बात तय होने लगी जमीं देखकर।।