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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

हयात - एक उम्मीद भरी कहानी - वेदव्यास मिश्र


हयात का परिवार काफी आधुनिक विचारों वाला था ।

हयात की रूचि थी मेडिकल लाइन में जाने की..डाॅक्टर बनने की !

जिसका काफी विरोध किये चंद कट्टर लोग ।
उनका कहना था कि उनका धर्म इजाज़त ही नहीं देता कि लड़कियाँ अपने धार्मिक शिक्षा के अलावा किसी और शिक्षा के बारे में सोचें भी ।

मतलब पढ़ना तो बहुत दूर की बात ..सोचना भी गुनाह था उनके मज़हब में !

फिर भी हयात के पिताजी जुम्मन ने अपनी बिटिया को पढ़ने की इजाज़त दे दी ।

एक नामी गिरामी यूनिवर्सिटी में दाखिला भी दिला दिया ..और गर्ल्स हाॅस्टल में रहकर हयात पढ़ने भी लगी ।

हयात की सहेलियों ने भी कहा था यूनिवर्सिटी जाते समय..खूब मन लगाकर पढ़ाई करना !

तू अगर पढ़ के आगे बढ़ जायेगी तो यक़ीनन हमारा भी हौसला बढ़ेगा !

हमारे भी मम्मी-पापा भेजेंगे शहर पढ़ने के लिए ।
हयात,
तू ऐसे सोचना कि तू अकेली नहीं जा रही..हम सब भी तेरे साथ ही जा रहे हैं..ऐसे समझना ।

तू अगर आगे बढ़ेगी तो हम सभी के लिए दरवाज़ा खुलेगा और अगर तूने कुछ गलत किया तो समझना..
हम सबके लिए दरवाज़ा हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गया ।
मगर जो नहीं होना था वही हो गया..!!

हयात को एक लड़के नूर से प्यार हो गया..लड़का बिलकुल ही आवारा था जिसे समझने में हयात को धोखा हुआ !

अभी तक के प्राप्त समाचार के अनुसार लड़का भी गायब है और लड़की भी गायब है ।

हयात के मोहल्ले में अगर सबसे ज्यादा निराश हैं तो वे लड़कियाँ जिनके लिए हयात उम्मीद का सूरज थी मगर अब खुश वो लोग ज्यादा हैं जिनका तकिया कलाम ही रहता है..

मैं तो पहले से ही जानता था..।
और पढ़ायें लड़कियों को...।

अच्छा ही हुआ,
हमने न भेजी अपनी बिटिया वर्ना हम भी..
आज किसी को मुँह दिखाने के लायक न रहते ...वगैरह-वगैरह ।

हम लोग तो बड़े ही इज्जतदार लोग हैं..हम लोग तो लाज के मारे ही मर जाते ।

जुम्मन ही चलाये ऐसी बेटी को । न जाने कैसे इतना बड़ा अपमान का घूँट पीकर जिन्दा है बेचारा।
डर है,
जुम्मन कहीं कोई गलत क़दम न उठा ले।

भाग - 2 पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

लेखक : वेदव्यास मिश्र


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

पल्लवी श्रीवास्तव said

मार्मिक कृति 🙏

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