सरकारी कॉलेज में पढ़ी को गर्लफ़्रेंड नहीं बनाये,
फाइव स्टार में जाकर भी वो खिचड़ी ही मँगवाये।
माँगते ही जो दे दे नंबर वो लड़की नहीं निभाए,
तुमसे अच्छा मिलते ही भैया तुम्हें बनाये।
रोज़ फूल देते हो उसको होटल भी ले जाते हो,
महँगा-महँगा खाना खिलाकर फिर पैसा भी चुकाते हो,
हर महीने उसका पुरा खर्चा भी उठाते हो,
क्या जानते हो उसकी लिस्ट में कितने नंबर पर आते हो।
शादी करके घर में खुद से कम सुंदर लड़की लाये,
हर हफ्ते उसको इस बात का बोध कराये।
अपने गोरे रंग पर सुंदरियों इतना ना इतराए,
सभी गौरी लड़कियों के वर काले-कलुटे आए।
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'