सम्बन्ध और वृक्ष
काफी समान हैं एक हद तक!
विश्वास रूपी धरातल,
प्रेम रूपी जल,
और सत्य रूपी रौशनी!
पोषण करती है इस वृक्ष का
पर्याप्त पोषण मिलने पर
शिखर छूती हैं वृक्ष की लताएं
गहरे होते जाते हैं सम्बन्ध
कुछ वृक्ष बनते हैं आश्रय के केंद्र
अधिकतर वृक्ष उपजाते हैं फल- फूल
और वृक्ष की प्रकृति के अनुरूप,
फल होते हैं मीठे खट्टे और तीखे!
और कुछ वृक्ष तो कट जाते हैं
बग़ैर फूले-फले ही!
~अभिषेक शुक्ल'