आ जाओ भीग जाएं हम इस रिमझिम फुहार में
भूल जाएँ ग़म सारे इस रिमझिम फुहार में
छूट्टी की अर्जी देना या करना कोशिश तमाम
याद है न वादा था मिलने का इसी बहार में
तुम्हारे एहसास की भीनी-भीनी खुशबू फैली है हरसू
सुरूर सा छाया रहता है जब से आई हूंँ तेरे प्यार में
न तुम आए न तुम्हारा कोई जवाब हीं आया
सुबह से शाम, शाम से सुबह हो गई इंतज़ार में
आ जाओ की अब न होगी लड़ाई किसी बात पर
वर्ना कहीं बीत न जाए ये सावन हमारे तक़रार में