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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

लम्हाँ गुज़र गया

लम्हाँ गुज़र गया

हर लम्हाँ गुज़र गया
कुछ देकर, तो कुछ लेकर गया
था वो जैसे अजुबा जादू कर गया
हर लम्हाँ गुज़र गया

वफ़ा का तौफ़ा, वक़्त से निभा गया
गुज़रना जैसे फ़र्ज था, तो चला गया
सुख - दुःख के दामन को सरका गया
हर लम्हाँ गुज़र गया

धीरता धैर्य रख सयंम सीखा गया
युगों से भागे गिनती वो भुल गया
विपरीत अवस्था में भी अव्वल रह गया
हर लम्हाँ गुज़र गया

महान ग्रंथो में यादों की रंगत भर गया
इतिहास के पन्नों पर छाप अंकित कर गया
जाते - जाते आवाज़ 'बुलंद' कर गया
हर लम्हाँ गुज़र गया

तूँ आया तूँ गया, मुझसे मिलाना भुल गया
छूटा जो साथ तो, वहाँ ही खड़ा कर गया
बदल के तूँ आया, पर अब बदल थोड़ा 'मैं' गया
हर लम्हाँ गुज़र गया




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत सुन्दर रचनात्मकता - लम्हों की कहानी बहुत अच्छे से बयां की है Mam आपने, प्रेरणादायक, प्रणाम स्वीकार करें

स्नेह धारा replied

Thanks

Komal Raju said

Ye to woqt ki khani ha... jese muthhhi m ret or aankho m pani ha.

स्नेह धारा replied

Thanks

Divya Kushwaha said

Sundar abhivyakti

स्नेह धारा replied

Thanks

रमेश चंद्र said

बिल्कुल सच कहा आपने समय कभी नहीं रुकता और किसी एक का होकर नहीं रहता

स्नेह धारा replied

Thanks

फ़िज़ा said

Bahut umda bahut sundar likha h aapne..beete huye waqt ka kya hi kahna

स्नेह धारा replied

Thanks

वन्दना सूद said

बहुत ही बढ़िया लिखा आपने 👏👏🙌🏻🙌🏻हर लम्हा गुज़र गया

स्नेह धारा replied

Thanks👏

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