लम्हाँ गुज़र गया
हर लम्हाँ गुज़र गया
कुछ देकर, तो कुछ लेकर गया
था वो जैसे अजुबा जादू कर गया
हर लम्हाँ गुज़र गया
वफ़ा का तौफ़ा, वक़्त से निभा गया
गुज़रना जैसे फ़र्ज था, तो चला गया
सुख - दुःख के दामन को सरका गया
हर लम्हाँ गुज़र गया
धीरता धैर्य रख सयंम सीखा गया
युगों से भागे गिनती वो भुल गया
विपरीत अवस्था में भी अव्वल रह गया
हर लम्हाँ गुज़र गया
महान ग्रंथो में यादों की रंगत भर गया
इतिहास के पन्नों पर छाप अंकित कर गया
जाते - जाते आवाज़ 'बुलंद' कर गया
हर लम्हाँ गुज़र गया
तूँ आया तूँ गया, मुझसे मिलाना भुल गया
छूटा जो साथ तो, वहाँ ही खड़ा कर गया
बदल के तूँ आया, पर अब बदल थोड़ा 'मैं' गया
हर लम्हाँ गुज़र गया