हर रोज उससे बातें करने के बहाने ढूंढती रहती हूॅं,
हर रोज नई - नई शरारतें करती रहती हूॅं। (2)
मेरी हर शरारत को तो वो तवज्जो देता नहीं,
पर फिर भी उसके साथ शरारतें करके
खुशी से झूमती रहती हूॅं।
बड़ा मसरूफ़ है वो अपनी ज़िंदगी में
इसलिए बात मुझसे कभी करता नहीं । (2)
पर कभी-कभी जब भी बातें करता है,
शुरू होने के बाद फिर रुकता ही नहीं।
उसका और मेरा खून का नहीं दिल का रिश्ता है,
रहता है वो मुझसे मीलों दूर
पर महसूस हमेशा पास होता है। जान लेता है बिना बताए ही वो मेरा हर दर्द,
वो मुझसे राब्ता इतना रखता है।
मैं हर वक्त फ़क़त उसके ही बारे में
बातें करती रहती हूॅं, हर वक्त बस उसी के बारे में सोचती रहती हूॅं।
हक़ीक़त में तो मुलाक़ात उससे कभी होती नहीं,
पर हर रोज सपने में उससे मिलती रहती हूॅं।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत