मैं अच्छा कविता लिखना चाहता हूं
मगर लगता नहीं
ढंग का कविता
कभी भी लिख सकता नहीं
मैं क्या करूं.......?
मैं बाजा बजाना चाहता हूं
मगर मेरे से बजता नहीं
यह तो बिलकुल कभी
कर सकता नहीं
मैं क्या करूं.......?
मैं गीत गाना चाहता हूं
मगर गा पाता नहीं
गीत गाना तो मुझे
कभी भी आता नहीं
मैं क्या करूं.......?
मैं नाचना चाहता हूं
मगर नाचना भी नहीं आता
मैं आदमी हूं कैसा
मुझे तो कुछ भी नहीं पता
मैं क्या करूं.......?
मैं क्या करूं.......?
----नेत्र प्रसाद गौतम