कविता : तुम बदल गई हो....
मेरे से बहुत आगे
निकल गई हो
तुम पहले से काफी
बदल गई हो
किसी के साथ में
ढल गई हो
तुम पहले से काफी
बदल गई हो
मुझ से ना जाने क्यों
जल गई हो ?
तुम पहले से काफी
बदल गई हो
ग्यास पर रखा दूध की तरह
उबल गई हो
तुम पहले से काफी
बदल गई हो
इतना भी न उछलो क्यों
उछल रही हो ?
तुम पहले से काफी
बदल गई हो
अब तो अपने आशिक से
मचल रही हो
तुम पहले से काफी
बदल गई हो
अगर भूल से कहीं गिर कर
हड्डी पसली टूट गई हो
मैं हूं ना मेरे पास आना चाहे तुम
जितनी बदल गई हो
मैं हूं ना मेरे पास आना चाहे तुम
जितनी बदल गई हो.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




