बिन समझे जो कुछ कहे,अपने मन का राज।
पछताता वह बाद में, कल हो या हो आज।।
कल हो या हो आज खटक सी रहती मन में
खुलती आखिर पोल,हँसाई होती जन में।
कह प्यासा रख ध्यान,भेद ना निकले हम से।
क्यों पछतायें बाद,कहे क्यों सब बिन समझे।
- प्यासा