दरिया पार होते ही नाव छूट गई।
किनारा मिलते ही आस टूट गई।।
अब पानी का सैलाब क्या करेगा।
डूब कर मरने की कयास टूट गई।।
सहारा देने वाले अक्सर छूट जाते।
स्वार्थी ज़नो से अपेक्षा ही टूट गई।।
जरूरत उस पार जाने की किसको।
मोहब्बत करने वालों साँस टूट गई।।
अब लहजे में नरमी लाओ 'उपदेश'।
प्यास बुझाने वालों से आस टूट गई।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद