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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

क्यों मेरी यादों में आते हो ?

क्यों इस कदर हमारी यादों में आते हो,
क्यों इस कदर हमे तड़पाते हो ?
पत्थर नहीं है हम,
जो तुम इस कदर हम पर हथौड़े चलाते हो।

जब याद नहीं आते हम तुम्हें,
जब नहीं कोई राब्ता हमसे तुम्हें।
फिर क्यों कभी-कभी अपनापन दिखाते हो,
जब फिर पराया हो ही जाना है तुम्हें।

अगर यादों में हमारे आते हो,
तो याद हमे भी किया करो।
इस कदर बस हमारी यादों में आकर,
फिर हमसे दूर ना जाया करो।

कभी-कभी कुछ ऐसा करते हो,
जैसे बहुत प्यार तुम हमसे करते हो।
फिर क्यों यूं अचानक ?
कहीं खो जाया करते हो।
"रीना कुमारी प्रजापत"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Lekhram Yadav said

मेरी प्यारी बहना सुहानी सुबह की राम राम। परिवर्तन प्रकृति का नियम है मगर हम सब भूल जाते हैं क्योंकि हमें केवल अपनी पीड़ा और दुख ही दिखाई देते हैं और कुछ दिखाई ही नहीं देता क्योंकि उस समय हमारी अक्ल और सोचने की शक्ति का स्तर बहुत निम्न होता है। परेशान होने की जरूरत नहीं हालात से डटकर मुकाबला करने की जरुरत है।

रीना कुमारी प्रजापत replied

राम राम 🙏 आभार r

Shyam Kumar said

Logo ke hmesa do muh hote hain. Kabhi bo ache bn jate hain kabhi bure. Smjhna bahut muskil ha. Isly let it be..

Muskan Kaushik said

Ye dunia viswas laayak nhi h..to koi kya kh rha h . Janedo.

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

क्यों इस कदर हमारी यादों में आते हो, क्यों इस कदर हमे तड़पाते हो ? पत्थर नहीं है हम, जो तुम इस कदर हम पर हथौड़े चलाते हो। bahut khoob reena mam

कमलकांत घिरी said

वाह क्या गज़ब का प्यार झलक रहा है पंक्तियों में, बहुत सुंदर रीना दीदी।।प्रणाम।।🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया 🙏 प्रणाम

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