क्यों इस कदर हमारी यादों में आते हो,
क्यों इस कदर हमे तड़पाते हो ?
पत्थर नहीं है हम,
जो तुम इस कदर हम पर हथौड़े चलाते हो।
जब याद नहीं आते हम तुम्हें,
जब नहीं कोई राब्ता हमसे तुम्हें।
फिर क्यों कभी-कभी अपनापन दिखाते हो,
जब फिर पराया हो ही जाना है तुम्हें।
अगर यादों में हमारे आते हो,
तो याद हमे भी किया करो।
इस कदर बस हमारी यादों में आकर,
फिर हमसे दूर ना जाया करो।
कभी-कभी कुछ ऐसा करते हो,
जैसे बहुत प्यार तुम हमसे करते हो।
फिर क्यों यूं अचानक ?
कहीं खो जाया करते हो।
"रीना कुमारी प्रजापत"