कब मिरा फूल भरा रस्ता है
पाँव हरदम ही छिला रहता है।
झुंड में झूठ रहा है हरदम
सच हमेशा ही रहा तन्हा है।
दिल धड़कता है बिन रुके हरदम
दिल को आराम कहाँ मिलता है।
पूछ उसकी है ज़माने में बस
जो सितारों से घिरा रहता है।
क्या करेगा तू अनिल सादा दिल
ये तो अक्सर ही यहाँ होता है।
-पंडित अनिल