यादों का पूरा समंदर है मेरे पास
यादों का पूरा समंदर है मेरे पास,
कुछ और नहीं है तो क्या हुआ
यादें तो हैं मेरे पास।
बस यादें ही तो हैं जिनके सहारे हम जीते हैं,
वरना ज़िंदगी तो कब का ही साथ छोड़ चुकी हैं।
ये यादें दवा है इंसान के लिए,
हर इंसान को ज़िंदा रखती हैं।
ये यादें खुश रहने की वजह है इंसान के लिए,
वरना इस व्यस्त दुनिया में तो किसी के लिए
किसी के पास वक्त ही नहीं है।
इन यादों के सहारे ही तो मैंने आज
अपना बचपन महसूस किया है,
मां-पापा की अंगुली पकड़कर
साथ चलते हुए ख़ुद को देखा है।
ये यादें इंसान की सच्ची दोस्त होती हैं
हमेशा साथ रहती हैं ,
दुनियां की भीड़ में भी और तन्हाई में भी
हर पल साथ रहती हैं।
इन यादों में मसरूफ़ हम हर वक्त रहते हैं,
और इस ज़िंदगी को दोगुना जी लेते हैं।
एक वक्त होता है जब इंसान के पास सब कुछ होता है,
और फिर सब ख़त्म हो जाता है।
सिर्फ़ यादें रह जाती हैं,
सिर्फ़ और सिर्फ़ यादें रह जाती हैं।
{रीना कुमारी प्रजापत}
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




