आर्त स्वर गज पुकारे सुनो सर्जनहार।
दूर दूर नहीं कोई है आज बचावनहार।
लड़कर गज हारा ग्राह नहीं छुड़ा पाए।
ग्राह खींच रहा पैर से बचाओ करतार।
व्यथित गज मतंगी कलभ करे चिंघाड़।
सूंड उठाकर गजेन्द्र कर रहा चीत्कार।
कमल-दल क्षत-विक्षत सब है व्यथित।
गज ग्राह संघर्ष में मलिन सरोवर नीर।
शक्ति पराक्रम का चूर-चूर है अहंकार।
मन उत्साह टूटे है शक्ति शिथिल शरीर।
जलचर ग्राह में शक्ति है अति उत्साह।
असमर्थ गज संकट में कहे प्राण उबार।
प्रभु स्तुति कर रहा करके एकाग्र मन।
आ गये तब भगवान हो गरुड़ आरूढ़।
सूंड उठा अर्पित कर रहा कमल पुष्प।
ग्राह मुख से कर दिया गजराज उद्धार।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




