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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मेरे जीवन का आखिरी पत्थर - मां करणी की दहलीज - अशोक सुथार

सुना है देशनोक में कोई माता माता करके कोई देवी रहती है,
जो आए उसके द्वार ,उसकी विपदाएं हर लेती है।

कुछ आस्था रही ,कुछ रही देवी की शक्ति,
तब ही नीरस बंजर भूमि में निपजी करणी की भक्ति

देश विदेश से आते लोग ऐसा ठहरा करनी का जोग,
भर भर थाल 56 भोग करनी हरे सब कष्ट रोग,

अगर भगवान ना होता तो उस मंदिर के दहलीज का
वह संगमरमर इतना न धीसता,

अब बात देशनोक पर आई है तो,
कवि लिखे बिना रह नहीं सकता,
गंगा सिंह को अंग्रेज कुछ कह न सकता

इतिहास तो इतना गहरा है ,
चारों दिशाओं में मां करणी का पहरा है।

यहां कोई बड़ी शक्ति रही होगी
यही जीवन का आखिरी पत्थर कह रहा है।

----अशोक सुथार




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Ankush Gupta said

Jay Ho man karni ki

Muskan Kaushik said

Jai maa karni..🙏🙏

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