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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जैसे जैसे जीवन बीता...


जैसे जैसे जीवन बीता, आंख से मंजर छूट गया,
गलियाँ छूटी, चौबारे छूटे, गाँव हमारा छूट गया l

सब सूरज के पीछे दौड़े आगे तुम और पीछे हम,
छूटी ताल तलैया सब की,बाग बगीचा छूट गया l

रुपया पैसा और बुलंदी पाने में सब यूँ मशगूल रहे,
रिश्ते-नाते, दया, सदाकत, सब कुछ पीछे छूट गया l

आगे बढ़े तो पथ पथरीले, मरुस्थल जैसे रेत मिले,
कहीं नहीं झरना पानी था, दरिया पीछे छूट गया l

किस जगह रुकी है नांव यहां जाने कैसे लोग यहाँ,
चाहा था जिस जगह रुके वो घाट हमारा छूट गया l

चाहे घूमें मंदिर, गिरजा, काबा घूमें या मदीना भी,
जिस मंदिर में राम हमारे वो मंदिर पीछे छूट गया l

आस लगाए देख रहे हैं सुबह की पौ बस फटने की,
धुन्ध की चादर में लिपटा वो ठौर हमारा छूट गया l

चकाचौंध से पटा शहर है जाल है बस रंगीनी की,
घर वापस जाने का रस्ता पीछे कब का छूट गया l




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Ek ek pankti bahut khoobsoorat bemishal arth ke sath sath gahraayi ko bayan kar rahi hai koi bhi aisi pankti nahi h jiska jikra na kiya ja sake tareef ke mamle m fir bhi sabse jyada man ko किस जगह रुकी है नांव यहां जाने कैसे लोग यहाँ, चाहा था जिस जगह रुके वो घाट हमारा छूट गया l in panktiyon ne chua, kya khoob likha hai shrivastav sir, dandvat pranam 🙏🙏 aapko

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

" जैसे जैसे जीवन बीता..." कविता की प्रशंसा के लिए आप का आभार. 🙏🙏

Komal Raju said

Bilkul..jab sahar aaye the gaon se to bahut kush the ki ab facility luxury sab hoga. Pr jab aaj sab ha to bahi neem ke ped pr jhula usi ped ke niche dosto ke sath kanche taash marble khelna , kheto pr jana tubel m nhana, janvaro ko nhalana unhe pani pilana sham ko daadi ke hath khana or rat ko apni khat pr diye ki roshni m khani sunna. Or hu hu krna.sab ek bar m yad aa gya.

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

कविता तभी सार्थक होती है जब पाठक को अपना भूला याद आ जाए और उनमें खो जाए .हम चमक दमक के पीछे भागते हैं पर ठहराव वहीं है जहां से चले थे. कविता की प्रशंसा के लिए और इतनी खूबसूरत बात लिखने के लिए श्री कोमल राजू जी आप को नमस्कार एवं आभार. 🙏

Sanjay Srivastva said

ज़िंदगी के यात्रा वित्रांत को खूबसूरती से पिरोया, भावपूर्ण 👌

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

आप का हृदय से नमन 🙏

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