राहे रुकते देखी जिस्म की हद तक जाकर।
मोहब्बत का सफ़र खत्म होता आज़माकर।।
पल दो पल साथ देते हिसाब बसों का चाहे।
साथ निभाना आया नही रोते वक्त गंवाकर।।
प्यार की अहमियत अगर समझते 'उपदेश'।
तो छोड़कर न जाते झूठी कसम खा खाकर।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
Ghaziabad