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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

Saas-Bahu Season 1 — Episode 1: “चाय में कम चीनी, पर तानों में भरपूर मिठास!”

सुबह के 6 बजे —
अलार्म नहीं,
सासू माँ की खाँसी बजती है!
बहू घबराकर उठती है —
बिस्तर से नहीं,
ज़िम्मेदारियों की runway से उड़ती है!

चाय बनती है —
दूध कम पड़ गया…
सासू माँ पहला घूँट लेते ही —
“अरे वाह! ये तो slimming tea बन गई है!”

बहू बोले —
“मम्मी जी, अब दूध लेने चली जाऊँ?”
सास बोले —
“बिलकुल! तभी तो दूल्हा लाए थे तुझे —
घर चलाने… अमूल वाला बुलाने नहीं!”

रोटियाँ जल जाती हैं,
तो सास के तानों का Fire Brigade नहीं आता।
बस एक नजर पड़ती है —
और बहू का आत्मविश्वास मलाई की तरह फट जाता है।

सास के Kitty Club की सहेलियाँ आती हैं —
साड़ी पहन बहू प्लेट सजाए,
और पीछे से फुसफुसाहट होती है —
“इतनी देर से आई थी घर में, अब तो घड़ी में भी late दिखेगी!”

और फिर आता है Episode का Turning Point —
जब बहू ने मेहमानों के सामने सासू माँ को
“Mom” कह दिया!

पूरा घर 5 सेकंड को
“Balaji Telefilms Pause Mode” में चला गया!

सास बोली —
“माँ तो वो होती है जो जनम दे…
और तुम तो जनम ही नहीं ले पाई चाय बनाना सीखने का!”

बहू चुप…
पर मन में श्लोक चल रहा है —
“हे कन्यादान के भगवान… ये दान return policy के साथ क्यों नहीं आता?”

तो साहब!
Saas-Bahu का ये Season सिर्फ़ चाय-पानी नहीं,
संस्कार, ताना और Micro-Management का महासंग्राम है।

जहाँ बहू एक सैनिक होती है —
जो डिटर्जेंट के साथ-साथ
तानों की धुलाई भी करती है।




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